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Sunday, 18 November 2018

गुर्जर घार के तांत्रिक विश्व विद्यालय

गुर्जर घार भाग 2-
लेखक- इंजी राम प्रताप सिंह     
चौंसठ योगिनी मंदिर को अपने जमाने का तांत्रिक यूनिवर्सटी के लिए परिधत्ता प्राप्त हुई थी विदेसी यात्रियों ने इस यूनिवर्सटी में अपने अध्ययन को पूरा किया था-
निर्माण काल : आठवी सदी से नो वी सदी,
स्थान : मितावली, मुरैना ,गुर्जर घार (मध्य प्रदेश)
निर्माता :  गुर्जर सम्राट मिहिर भोज और महिपाल
ख़ासियत : प्राचीन समय में यहां तांत्रिक अनुष्ठान होते थे दुनिया मे 4 ही यूनिवर्सटी थी तांत्रिक साधना के लिए ,भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस मंदिर को प्राचीन ऐतिहसिक स्मारक घोषित किया है।इकंतेश्वर महादेव मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है।
आकार : गोलाकार, 101 खंभे कतारबद्ध हैं। यहां 64 कमरे हैं, जहां शिवलिंग स्थापित है। आज इसकी कला का अद्भुत नमूना भारतीय संसद भवन है ।
ऊंचाई : भूमि तल से 300 फीट             भारत में चार प्रमुख चौसठ-योगिनी मंदिर हैं। दो ओडिशा में तथा दो मध्य प्रदेश में। लेकिन इन सब में मध्य प्रदेश के मुरैना स्तिथ चौसठ योगिनी मंदिर का विशेष महत्तव है। इस मंदिर को गुजरे ज़माने में तांत्रिक विश्वविद्यालय कहा जाता था। उस दौर में इस मंदिर में तांत्रिक अनुष्ठान करके तांत्रिक सिद्धियाँ हासिल करने के लिए तांत्रिकों का जमवाड़ लगा रहता था। मौजूदा समय में भी यहां कुछ लोग तांत्रिक सिद्धियां हासिल करने के लिए यज्ञ करते हैं।ग्राम पंचायत मितावली, थाना रिठौराकलां, ज़िला मुरैना (मध्य प्रदेश) में यह प्राचीन चौंसठ योगिनी शिव मंदिर है। इसे ‘इकंतेश्वर महादेव मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की ऊंचाई भूमि तल से 300 फीट है। इसका निर्माण तत्कालीन प्रतिहार क्षत्रिय राजाओं ने किया था। यह मंदिर गोलाकार है। इसी गोलाई में बने चौंसठ कमरों में हर एक में एक शिवलिंग स्थापित है। इसके मुख्य परिसर में एक विशाल शिव मंदिर है।भारतीय पुरातत्व विभाग के मुताबिक़, इस मंदिर को नवीं सदी में बनवाया गया था। कभी हर कमरे में भगवान शिव के साथ देवी योगिनी की मूर्तियां भी थीं, इसलिए इसे चौंसठ योगिनी शिवमंदिर भी कहा जाता है। देवी की कुछ मूर्तियां चोरी हो चुकी हैं। कुछ मूर्तियां देश के विभिन्न संग्रहालयों में भेजी गई हैं। तक़रीबन 200 सीढ़ियां चढ़ने के बाद यहां पहुंचा जा सकता है। यह सौ से ज़्यादा पत्थर के खंभों पर टिका है। किसी ज़माने में इस मंदिर में तांत्रिक अनुष्ठान किया जाता था।यह स्थान ग्वालियर से करीब 40 कि.मी. दूर है। इस स्थान पर पहुंचने के लिए ग्वालियर से मुरैना रोड पर जाना पड़ेगा। मुरैना से पहले करह बाबा से या फिर मालनपुर रोड से पढ़ावली पहुंचा जा सकता है। पढ़ावली ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। यही वह शिवमंदिर है, जिसको आधार मानकर ब्रिटिश वास्तुविद् सर एडविन लुटियंस ने संसद भवन बनाया।                 आघव गुर्जर                      शेष अगले भाग में जारी...........

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