गुर्जर घार भाग 3 -
लेखक -इंजी. राम प्रताप सिंह
कुतवार जनपद परिचय एतिहासिक और कथात्मक तथा साहित्यात्मक कुतवार का महत्व काफी महान है विगत ज्ञात तथा लिखित इतिहास के तर्क वितर्क में ना फस के हम सिर्फ कुतवार के सभी विवरणों को इसमे लेंगे कुतवार, कोटवार ,कुन्तलपुर, कोटबार, कुन्तिभोज के नामो से इतिहास में प्रसिद्ध प्राचिन जनपद का इतिहास गौरव का रहा है जिसमे कुतवार की वर्तमान स्थति यह आसन नदी के तट पर स्थित है और ग्वालियर से 20 मील है और बानमोर मुरैना से 16किलोमीटर दूर है । कांतिपुरी जो प्राचीन पद्मावती के निकट ही स्थित थी गुप्तकाल में नागराजाओं के अधिकार में थी। विष्णुपुराण 4,24,64 में पद्मावती में नागराजाओं का उल्लेख है। कांतिपुरी के कुंतीपुरी , कुंतीपद, और कुंतलपुरी नाम भी मिलते हैं। पांडवों की माता कुंती संभवत: इसी नगरी के राजा कुंतिभोज की पुत्री थी इसके अतिरिक्त कुंती भोज का विवरण महाभारत "शिरॊ ऽभूथ थरुपथॊ राजा महत्या सेनया वृतः, कुन्तिभॊजश च चैथ्यश च चक्षुष्य आस्तां जनेश्वर "Mahabharata (VI.46.45) लेकिन हमको कुंती भोज ही मिलता है इसकी प्राचीनता हम उस जगह पे जाकर देख सकते हैं "द्रविडाः सिंहलाश चैव राजा काश्मीरकस तदा, कुन्तिभॊजॊ महातेजाः सुह्मश च सुमहाबलः Mahabharata (II.31.12)" हमे कुंतीभोज के कुशल राज्य का पता लगता है "नवराष्ट्रं विनिर्जित्य कुन्तिभॊजम उपाथ्रवत, परीतिपूर्वं च तस्यासौ परतिजग्राह शासनम Mahabharata (II.28.6)"कुंती के पिता कुंति भोज ने राजधानी कुंतलपुर में आसन नदी के किनारे अपनी पुत्री के लिए बनवाया था,इसी मंदिर के किनारे कुंती ने सूर्य देव की कृपा से महाभारत युद्ध के महारथी कर्ण को जन्म दिया लोकलाज से बचने के लिए इसी मंदिर के किनारे बने घाट से सोने की पेटी में कवच-कुंडलों के साथ कर्ण को सुरक्षित रख कर नदी में बहा दिया था। आसन नदी के के किनारे आज भी पत्थरों पे रथ तथा घोड़ों के निसान मौजूद हैं ।कुंती भोज की महाभरत के युद्ध मव हत्या के बाद कुतवार का साहित्यक अता पता नही लगता है । अपितु ऐतिहासिक काल का उद्गम नाग वंश और वंसफ़र गुर्जर और कुषाण गुर्जर काल मे निकलता है ,कनिघम के अनुसार कुतवार पे प्रारमब्भिक समय मे नाग वंश ने वंसफ़र के अधीन सत्ता संभाली और उसके बाद ये कुसानो के अधीन आ गये जिस के चलते नागों ने अपने दूर गामी राज्य पवाया ,विदिशा, और मथुरा से संपर्क बना लिए जिसके चलते इनके कुतवार पे भारशिव का उदय होता है 140ईसा में जिसके बाद
नवा नाग जिसकी उम्र के 27 वर्ष में उसने नवा नाग वंश की स्थापना की थी, भारशिव (140-170 इस्वी ),वीरसेन 170-210 अपनी उम्र के 34 साल में ये मथुरा और कुतवार की साझी सत्ता के संपर्क स्थापित किये इसने ,हया नाग(210-245) ,ट्राय नाग(245-250 )बरहिना नाग (250-260),चराज नाग ( 30 साल) (260-290)भाव नाग (290-315 इस्वी ),रुद्रसेन नाग (315-344 इस्वी ) शेष अगली भाग में जारी..............
लेखक -इंजी. राम प्रताप सिंह
कुतवार जनपद परिचय एतिहासिक और कथात्मक तथा साहित्यात्मक कुतवार का महत्व काफी महान है विगत ज्ञात तथा लिखित इतिहास के तर्क वितर्क में ना फस के हम सिर्फ कुतवार के सभी विवरणों को इसमे लेंगे कुतवार, कोटवार ,कुन्तलपुर, कोटबार, कुन्तिभोज के नामो से इतिहास में प्रसिद्ध प्राचिन जनपद का इतिहास गौरव का रहा है जिसमे कुतवार की वर्तमान स्थति यह आसन नदी के तट पर स्थित है और ग्वालियर से 20 मील है और बानमोर मुरैना से 16किलोमीटर दूर है । कांतिपुरी जो प्राचीन पद्मावती के निकट ही स्थित थी गुप्तकाल में नागराजाओं के अधिकार में थी। विष्णुपुराण 4,24,64 में पद्मावती में नागराजाओं का उल्लेख है। कांतिपुरी के कुंतीपुरी , कुंतीपद, और कुंतलपुरी नाम भी मिलते हैं। पांडवों की माता कुंती संभवत: इसी नगरी के राजा कुंतिभोज की पुत्री थी इसके अतिरिक्त कुंती भोज का विवरण महाभारत "शिरॊ ऽभूथ थरुपथॊ राजा महत्या सेनया वृतः, कुन्तिभॊजश च चैथ्यश च चक्षुष्य आस्तां जनेश्वर "Mahabharata (VI.46.45) लेकिन हमको कुंती भोज ही मिलता है इसकी प्राचीनता हम उस जगह पे जाकर देख सकते हैं "द्रविडाः सिंहलाश चैव राजा काश्मीरकस तदा, कुन्तिभॊजॊ महातेजाः सुह्मश च सुमहाबलः Mahabharata (II.31.12)" हमे कुंतीभोज के कुशल राज्य का पता लगता है "नवराष्ट्रं विनिर्जित्य कुन्तिभॊजम उपाथ्रवत, परीतिपूर्वं च तस्यासौ परतिजग्राह शासनम Mahabharata (II.28.6)"कुंती के पिता कुंति भोज ने राजधानी कुंतलपुर में आसन नदी के किनारे अपनी पुत्री के लिए बनवाया था,इसी मंदिर के किनारे कुंती ने सूर्य देव की कृपा से महाभारत युद्ध के महारथी कर्ण को जन्म दिया लोकलाज से बचने के लिए इसी मंदिर के किनारे बने घाट से सोने की पेटी में कवच-कुंडलों के साथ कर्ण को सुरक्षित रख कर नदी में बहा दिया था। आसन नदी के के किनारे आज भी पत्थरों पे रथ तथा घोड़ों के निसान मौजूद हैं ।कुंती भोज की महाभरत के युद्ध मव हत्या के बाद कुतवार का साहित्यक अता पता नही लगता है । अपितु ऐतिहासिक काल का उद्गम नाग वंश और वंसफ़र गुर्जर और कुषाण गुर्जर काल मे निकलता है ,कनिघम के अनुसार कुतवार पे प्रारमब्भिक समय मे नाग वंश ने वंसफ़र के अधीन सत्ता संभाली और उसके बाद ये कुसानो के अधीन आ गये जिस के चलते नागों ने अपने दूर गामी राज्य पवाया ,विदिशा, और मथुरा से संपर्क बना लिए जिसके चलते इनके कुतवार पे भारशिव का उदय होता है 140ईसा में जिसके बाद
नवा नाग जिसकी उम्र के 27 वर्ष में उसने नवा नाग वंश की स्थापना की थी, भारशिव (140-170 इस्वी ),वीरसेन 170-210 अपनी उम्र के 34 साल में ये मथुरा और कुतवार की साझी सत्ता के संपर्क स्थापित किये इसने ,हया नाग(210-245) ,ट्राय नाग(245-250 )बरहिना नाग (250-260),चराज नाग ( 30 साल) (260-290)भाव नाग (290-315 इस्वी ),रुद्रसेन नाग (315-344 इस्वी ) शेष अगली भाग में जारी..............
कर्ण को कुंती ने गंगा नदी में बहा दिया था तो गंगा नदी तो यहां कुतवार से बहुत दूर है
ReplyDeleteआसन नदी के संबंध में कोई विशेष जानकारी नहीं मिलती है लेकिन भौगोलिक स्थितियों के अनुसार ऐसा प्रतीत होता है कि आसन नदी आगे जाकर चंबल नदी में मिलती है ।चंबल नदी इटावा में यमुना नदी से मिलती है तथा यमुना प्रयागराज में गंगा नदी में मिलती है।अतः यह सम्भावना है कि वह पेटिका जिसमें कर्ण थे,इन नदियों में बहती हुई गंगा नदी में पहुंची।तथा चम्पा नगरी (जो वर्तमान भागलपुर के निकट है)के निवासी अधिरथ और राधा को प्राप्त हुई।
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