गायरी गुर्जर इतिहास
गायरी /गारी/ मेवाडा गायरी गुर्जर वंश -इंजी राम प्रताप सिंह गुर्जर
गायरी गुर्जर वंश का वो पन्ना हे जिसके बिन गुर्जर होते हुए भी , उनके लोग उनकी तरफ आने में परेशानियां पैदा कर देते हैं और ऐसा सिर्फ कुछ छोटे छोटे नेता और उनकी मन्द बुध्ददि और कुछ छोटे बच्चे जो इतिहास और उनके क्षेत्रों से परिचित तो नहीं हैं लेकिन उनके ऊपर उँगली करते हैं ,
गारी, गायरी,भारुड़, भरवाड़ जातियां मूलत गुर्जर है
मेवाड़ा गायरी/गुर्जर/गारी/गाडरी/भारवाड़/भारुड़ - जाति एक नाम अनेक ये सभी वीर गुर्जर है। जोकि मेवाड़ मूल के है या मेवाड़ से निकले है। जो पशुपालन के कारण इतने नामों मे बटे है।
गुर्जर कितनी बड़ी जाती है यह अब पता चला है गायरी गुर्जर समाज के भाइयों को अभी भी नहीं पता है कि हम कितने हैं जो 100 किलोमीटर तक ही अपनी सीमा निर्धारित कर चुके वह समाज को नहीं पता कि हम गुर्जर हैं। 250-300 किमी के बीच 3 नामों में बटा समाज कितना अशिक्षित है इसकी कल्पना की जा सकती है। मेवाड़ - मेवाड़ा गाडरी/गायरी 2. मालवा - चौधरी ( मेवाड़ा गारी/गायरी) 3. हाड़ोती - गुर्जर (गायरी गुर्जर) गुर्जर कितनी बड़ी जाति एवं कौम है यह गायरी को आज तक नहीं पता है वह तो बस अपने को गायरी गुर्जर बोल देता है। और ज्यादा जीरह करो तो गायरी और गुर्जर दो भाई है, यह कह कर बात खत्म, और दन्त कहानी सुनने को मिलेगी की गायरी गाय के गर्भ से और गुर्जर उसकी जर से हुऐ हैं। जिस पर सिर्फ हंसी आती है। बल्कि ऐसा नहीं है, गुर्जर का संधि विच्छेद होता है - गुर्+जर जिसका अर्थ शत्रु विनाशक होता है, मध्य प्रदेश के धार,रतलाम,इंदौर एवं उज्जैन जिलों के विभिन्न गांवों में रहने वाले चौधरी(गायरी) झालावाड़, मेवाड़ ,आदि जगहों पर भी यह लोग गायरीoगायरी/गायरी/रेवारी- ये उपजातियां राजस्थान में प्रचलित
गायरी शव्द की उत्पत्ति -गायरी नाम मेवाड़ झालावाड़ तथा मध्यप्रदेश की सीमा से सटीक हे ! गायरी शव्द की दन्त कथाओं के अनुसार गायरी गाय के गर्भ से पैदा हुए हैं जो सुन ने में हमे अच्छा लगता हे लेकिन इसका ऐतिहासिक अवलोकन किसी इंसान ने नहीं किया हे खुद गायरी गुर्जर भी इसमें ही ज़िंदा हैं education का
ायरी शवद की उत्पत्ति उनके कर्म के अनुसार उनकी पहचान बनी हे ,मेवाड़ क्षेत्र सै गायरी की उत्पत्ति समझ में आती हे जिसमे इन लोगों के अलग काम /व्यवसाय वट गए जिसमे गायरियो ने जो व्यवसाय चुना वो था गाय पालन /गौ रक्छक /गाय रखने वाला आदि इनके नाम पड गए जिसका शुध्ध रुप जो है वो आज गायरी /गारी बन गया जबकि गडरिया जो हे वो भेड पालन करते हैं उनका व्यवसाय अलग , उनका जाती भी अलग हे क्यों की गडरिया एक जाती हे और गायरी एक गोत्र हे जो देव नारायण भगवान् के उपासक हैं !
प्रभावी क्षेत्र- गायरियों के प्रभावी क्षेत्र में मालवा इंदौर उज्जैन रतलाम मंदसौर झालावाड़ मेवाड़ क्षेत्र में मौजूदगी बहुत ज्यादा मात्रा में हे और ये सभी अपने को गुर्जरों से अभिन्न नहीं मानते हैं बल्कि गुर्जर ही मानते हैं इनमे आज १५० सै ज्यादा गोत्र बन चुके है जो आज मौजूद हैं
मध्य प्रदेश के धार,रतलाम,इंदौर एवं उज्जैन जिलों के विभिन्न गांवों में रहने वाले चौधरी(गायरी) लिखते हैं चुनेधार(Dhar)रतलाम(Ratlam)इंदौर(Indore)उज्जैन(Ujjain) आदि मै आते हैं
धार(DHAR)
बुकड़ावदा खेड़ी(Bukdavada Khediघटगारा(Ghatgara)बालौदा माजी(Baloda Maji)पडुनिया(Paduniya)खरेली(Khareli)बदनावर(Badnawar)संदला(Sandala)तिलगारा(Tilgara)भैंसोला(Bhainsola)लीलीखेड़ी(Lilikhedi)मुल्थान(Multhan)बेगन्दा(Beganda)रूणिजा(Runija)छौ छोटी(Chho Chooti)छौ बड़ी(Chho Badi)सनोली(Sanoli)कोद(Kod)बिड़वाल(Bidwal)शेरगढ़(Shergarh)बरमंडल(Barmandal)पंचमुखी(Panchmukhi)कुसावदा(Kusavada)मुसावदा(Musavada)खैरोद(Kherod)सादलपुर(Sadalpur)वरनासा(Varnasa)कणवा(Kanwa)गोगाखेडी(Gogakhedi)भाटबामन्दा(Bhatbamanda)
देवड़ा/दीवड़ा: गुर्जरों की इस खाप के गाँव गंगा जमुना के ऊपरी दोआब के मुज़फ्फरनगर क्षेत्र में हैं| कैम्पबेल ने भीनमाल नामक अपने लेख में देवड़ा को कुषाण सम्राट कनिष्क की देवपुत्र उपाधि से जोड़ा हैं|
दीपे/दापा: गुर्जरों की इस खाप की आबादी कल्शान और देवड़ा खाप के साथ ही मिलती हैं तथा तीनो खाप अपने को एक ही मानती हैं| शादी-ब्याह में खाप के बाहर करने के नियम का पालन करते वक्त तीनो आपस में विवाह भी नहीं करते हैं और आपस में भाई माने जाते हैं| संभवतः अन्य दोनों की तरह इनका सम्बन्ध भी कुषाण परिसंघ से हैं|
नेकाड़ी: राजस्थान के गुर्जरों में नेकाड़ी धार्मिक दृष्टी से पवित्रतम गोत्र माना जाता हैं| अफगानिस्तान और भारत में नेकाड़ी गोत्र पाया जाता हैं| राजस्थान के गुर्जरों में इसे विशेष आदर की दृष्टी से देखा जाता हैं| नेकाड़ी मूलतः चेची माने जाते हैं|
पोसवाल >बांणिया - पोसवाल का ही दूसरा नाम है बांणिया जो की हिमाचल ,उत्तराखंड ,मे ज्यादा बांणिया लिखते हैं तथा मालवा और मेवाड के बीच मे भी इनको बांणिया कहते हैं।
बामणिया- यह भी बाणियां का विक्रत रुप है इसका मूल पोसवाल ही हैं।
कोली>कौली - कोली गोत्र मूल रूप सै पंजाब मै गुर्जरों के कोली गोत्र के 60 गांव हैं जो हिमाचल प्रदेश की सीमा पर हैं।
कोरी/लोहिया/लोहमोड/लुवाणा(लोहारिया)-ये सभी नाम ऐक ही गोत्र के हैं जो की क्षेत्र के अनुसीर अपनी अपनी भाषा मै विक्रत हो गये हैं
गुर्जरघार मे कोरी और लोहिया कहते हैं जिनके गांव भिन्ड मुरैना तथा ग्वालियर मे हैं ,लोहमोड नाम पंजाब उत्तरप्रदेश मे बहुत हैं और लुवाणा और लोहारिया के नाम सै मालवा तथा मेवाड के आस पास हैं।
भरगाड/भंडावर/भरवाड- भरगाड मूल रूप सै जयपुर के आस पास हैं तथा भंडावर मूल भरगाड का अप्रभंस है ।
हाकला/हकला- मेवाड दुर्ग के दक्क्षिण मे रहते थे ये लोग तथा भारत पाक अफगान आदि मे मौजूद हैं
पन्ना गूजरी के गांव के हांकला गोत्रीय गूजर चित्तौड़ के दुर्ग के दक्षिणी भाग के रक्षक तथा निवासी थे
मवाड राजवंश - पन्ना धाय का जिस मेवाड़ राजवंश से सम्वन्ध वो पन्ना धाय को इतिहासकार डॉ.व्यास ने गायरी गुर्जर बताया हे , पन्ना का सम्मान सभी समाज में उतना ही हे जितना मेवाड़ वंश का हे पन्ना धाय माँ को ""दामोदर लाल गर्ग"" ने अपनी पुस्तक ""राजधात्री पन्ना गुजरी"" में लिखा हे की ये वीरमाता गुर्जर कुल से थी और उन्होंने लिखा हे की इनका सम्बन्ध गुरुजन तथा गुर्जर , गोर्जन बताया हे,अब हम इनके सम्बन्धों पर भी बात करते हैं,जो तथ्ययातमक हैं,माता पन्ना धाय को ऊपर डॉ. व्यास ने ऊपर गायरी लिखा हे क्यों की आज यही सवाल हमारे लोगों के जहाँ में हे की इनकी शादियां क्यों नहीं होती हैं पन्ना धाय की ससुराल गुर्जर चौहान कुल में थी चौहान हिन्दू जी गुर्जर के पुत्र गुर्जर लाला गुर्जर के पुत्र सूरजमल गुर्जर चौहान की पत्नी थीं,
हम लोगों को ये समझना चाहिए की मेवाड़ रियासत के राजवंश की फौज में गुर्जर ही सबसे ज्यादा थे और मेवाड़ के आस पास गायरी ज्यादा हैं. गुर्जर कम हैं फिर ये बात सही कैसे हो सकती हैं , लेकिन ये बात सही हे क्यों की उस टाइम पे गायरी वर्ड ही नहीं था तो गायरी भी गुर्जर ही कह जाएंगे क्यों की गायरी. तो कुछ नाम नहीं था मतलब की गायरी ही मेवाड़ वंश की फौज में थे और इनपे ही राणा परिवार को भरोसा भी था
पन्ना गूजरी के गांव के हांकला गोत्रीय गूजर चित्तौड़ के दुर्ग के दक्षिणी भाग के रक्षक थे दक्षक्षिणी भाग की और
सुरक्षा भी गूजर कर रहे थे, महल के अन्दर पन्ना धाय
उनके पुत्रों की रक्षा कर रही थीं, पन्ना धाय के पिता हरचंद हाकला जी ने राणा संग्राम के साथ लड़ते लड़ते वीरगति को प्राप्त हुए थे ,

नोट-गायरी गुर्जर हैं गडरिया जबरस्ती या धनगरी करण इतिहास ना बिगाडें
गारी, गायरी,भारुड़, भरवाड़ जातियां मूलत गुर्जर है
मेवाड़ा गायरी/गुर्जर/गारी/गाडरी/भारवाड़/भारुड़ - जाति एक नाम अनेक ये सभी वीर गुर्जर है। जोकि मेवाड़ मूल के है या मेवाड़ से निकले है। जो पशुपालन के कारण इतने नामों मे बटे है।
गुर्जर कितनी बड़ी जाती है यह अब पता चला है गायरी गुर्जर समाज के भाइयों को अभी भी नहीं पता है कि हम कितने हैं जो 100 किलोमीटर तक ही अपनी सीमा निर्धारित कर चुके वह समाज को नहीं पता कि हम गुर्जर हैं। 250-300 किमी के बीच 3 नामों में बटा समाज कितना अशिक्षित है इसकी कल्पना की जा सकती है। मेवाड़ - मेवाड़ा गाडरी/गायरी 2. मालवा - चौधरी ( मेवाड़ा गारी/गायरी) 3. हाड़ोती - गुर्जर (गायरी गुर्जर) गुर्जर कितनी बड़ी जाति एवं कौम है यह गायरी को आज तक नहीं पता है वह तो बस अपने को गायरी गुर्जर बोल देता है। और ज्यादा जीरह करो तो गायरी और गुर्जर दो भाई है, यह कह कर बात खत्म, और दन्त कहानी सुनने को मिलेगी की गायरी गाय के गर्भ से और गुर्जर उसकी जर से हुऐ हैं। जिस पर सिर्फ हंसी आती है। बल्कि ऐसा नहीं है, गुर्जर का संधि विच्छेद होता है - गुर्+जर जिसका अर्थ शत्रु विनाशक होता है, मध्य प्रदेश के धार,रतलाम,इंदौर एवं उज्जैन जिलों के विभिन्न गांवों में रहने वाले चौधरी(गायरी) झालावाड़, मेवाड़ ,आदि जगहों पर भी यह लोग गायरीoगायरी/गायरी/रेवारी- ये उपजातियां राजस्थान में प्रचलित
गायरी शव्द की उत्पत्ति -गायरी नाम मेवाड़ झालावाड़ तथा मध्यप्रदेश की सीमा से सटीक हे ! गायरी शव्द की दन्त कथाओं के अनुसार गायरी गाय के गर्भ से पैदा हुए हैं जो सुन ने में हमे अच्छा लगता हे लेकिन इसका ऐतिहासिक अवलोकन किसी इंसान ने नहीं किया हे खुद गायरी गुर्जर भी इसमें ही ज़िंदा हैं education का
ायरी शवद की उत्पत्ति उनके कर्म के अनुसार उनकी पहचान बनी हे ,मेवाड़ क्षेत्र सै गायरी की उत्पत्ति समझ में आती हे जिसमे इन लोगों के अलग काम /व्यवसाय वट गए जिसमे गायरियो ने जो व्यवसाय चुना वो था गाय पालन /गौ रक्छक /गाय रखने वाला आदि इनके नाम पड गए जिसका शुध्ध रुप जो है वो आज गायरी /गारी बन गया जबकि गडरिया जो हे वो भेड पालन करते हैं उनका व्यवसाय अलग , उनका जाती भी अलग हे क्यों की गडरिया एक जाती हे और गायरी एक गोत्र हे जो देव नारायण भगवान् के उपासक हैं !
प्रभावी क्षेत्र- गायरियों के प्रभावी क्षेत्र में मालवा इंदौर उज्जैन रतलाम मंदसौर झालावाड़ मेवाड़ क्षेत्र में मौजूदगी बहुत ज्यादा मात्रा में हे और ये सभी अपने को गुर्जरों से अभिन्न नहीं मानते हैं बल्कि गुर्जर ही मानते हैं इनमे आज १५० सै ज्यादा गोत्र बन चुके है जो आज मौजूद हैं
मध्य प्रदेश के धार,रतलाम,इंदौर एवं उज्जैन जिलों के विभिन्न गांवों में रहने वाले चौधरी(गायरी) लिखते हैं चुनेधार(Dhar)रतलाम(Ratlam)इंदौर(Indore)उज्जैन(Ujjain) आदि मै आते हैं
धार(DHAR)
बुकड़ावदा खेड़ी(Bukdavada Khediघटगारा(Ghatgara)बालौदा माजी(Baloda Maji)पडुनिया(Paduniya)खरेली(Khareli)बदनावर(Badnawar)संदला(Sandala)तिलगारा(Tilgara)भैंसोला(Bhainsola)लीलीखेड़ी(Lilikhedi)मुल्थान(Multhan)बेगन्दा(Beganda)रूणिजा(Runija)छौ छोटी(Chho Chooti)छौ बड़ी(Chho Badi)सनोली(Sanoli)कोद(Kod)बिड़वाल(Bidwal)शेरगढ़(Shergarh)बरमंडल(Barmandal)पंचमुखी(Panchmukhi)कुसावदा(Kusavada)मुसावदा(Musavada)खैरोद(Kherod)सादलपुर(Sadalpur)वरनासा(Varnasa)कणवा(Kanwa)गोगाखेडी(Gogakhedi)भाटबामन्दा(Bhatbamanda)
देवड़ा/दीवड़ा: गुर्जरों की इस खाप के गाँव गंगा जमुना के ऊपरी दोआब के मुज़फ्फरनगर क्षेत्र में हैं| कैम्पबेल ने भीनमाल नामक अपने लेख में देवड़ा को कुषाण सम्राट कनिष्क की देवपुत्र उपाधि से जोड़ा हैं|
दीपे/दापा: गुर्जरों की इस खाप की आबादी कल्शान और देवड़ा खाप के साथ ही मिलती हैं तथा तीनो खाप अपने को एक ही मानती हैं| शादी-ब्याह में खाप के बाहर करने के नियम का पालन करते वक्त तीनो आपस में विवाह भी नहीं करते हैं और आपस में भाई माने जाते हैं| संभवतः अन्य दोनों की तरह इनका सम्बन्ध भी कुषाण परिसंघ से हैं|
नेकाड़ी: राजस्थान के गुर्जरों में नेकाड़ी धार्मिक दृष्टी से पवित्रतम गोत्र माना जाता हैं| अफगानिस्तान और भारत में नेकाड़ी गोत्र पाया जाता हैं| राजस्थान के गुर्जरों में इसे विशेष आदर की दृष्टी से देखा जाता हैं| नेकाड़ी मूलतः चेची माने जाते हैं|
पोसवाल >बांणिया - पोसवाल का ही दूसरा नाम है बांणिया जो की हिमाचल ,उत्तराखंड ,मे ज्यादा बांणिया लिखते हैं तथा मालवा और मेवाड के बीच मे भी इनको बांणिया कहते हैं।
बामणिया- यह भी बाणियां का विक्रत रुप है इसका मूल पोसवाल ही हैं।
कोली>कौली - कोली गोत्र मूल रूप सै पंजाब मै गुर्जरों के कोली गोत्र के 60 गांव हैं जो हिमाचल प्रदेश की सीमा पर हैं।
कोरी/लोहिया/लोहमोड/लुवाणा(लोहारिया)-ये सभी नाम ऐक ही गोत्र के हैं जो की क्षेत्र के अनुसीर अपनी अपनी भाषा मै विक्रत हो गये हैं
गुर्जरघार मे कोरी और लोहिया कहते हैं जिनके गांव भिन्ड मुरैना तथा ग्वालियर मे हैं ,लोहमोड नाम पंजाब उत्तरप्रदेश मे बहुत हैं और लुवाणा और लोहारिया के नाम सै मालवा तथा मेवाड के आस पास हैं।
भरगाड/भंडावर/भरवाड- भरगाड मूल रूप सै जयपुर के आस पास हैं तथा भंडावर मूल भरगाड का अप्रभंस है ।
हाकला/हकला- मेवाड दुर्ग के दक्क्षिण मे रहते थे ये लोग तथा भारत पाक अफगान आदि मे मौजूद हैं
पन्ना गूजरी के गांव के हांकला गोत्रीय गूजर चित्तौड़ के दुर्ग के दक्षिणी भाग के रक्षक तथा निवासी थे
बाघमार/बघमार/ रावत
"अर्थात बाघ को मारने वाला - बाघमार"
गायरी गुर्जर वंश महान
यह मेवाड़ा गायरी/गायरी गुर्जरों में एक प्रसिद्ध गोत्र है, जिसे रावत भी कहा जाता है यह गोत्र बगड़ावत/ बगरावत/ बाघरावत से सीधे संबंधित है।
24 भाई बगड़ावत के पिताजी जिनका नाम बाघरावत उनके पिता हरिराम जी ने एक बाघ को मार गिराया था। यह हम बगड़ावत भारत में सुनते हैं तथा बड़े बुजुर्गों से भी सुनते आए हैं उसके पश्चात उनके पुत्र "बाघरावत" का जन्म हुआ जिनका मुंह तो बाघ/शेर का व बाकी धड़ मनुष्य का हुआ था। बाघ को मारने वाला बाघमार ही हो सकता है। यह गोत्र स्पष्ट दर्शित करता है बगड़ावतों के गायरी गुर्जर कुल का होने से आज के गायरी गुर्जर मेवाड़ा गायरी तत्कालीन समय में मेवाड़ के मूल निवासी थे उसके पश्चात अन्य जगहों पर बस गए।
गोत्र -
सरकारी प्रमाण गायरी गुर्जर-गायरी गुर्जर हैं इस बात के हमने सबूत दिए हैं अब इनको धनगर बोलने बालों के पास कितने सबूत हैं वो दिखाएँ और ऐसा ही नहीं गायरियों की पुराणी शादियां गुर्जरों में ही हुयी हैं , अगर आप के पास कोई सबूत हो तो जरूर बताओ ,
मवाड राजवंश - पन्ना धाय का जिस मेवाड़ राजवंश से सम्वन्ध वो पन्ना धाय को इतिहासकार डॉ.व्यास ने गायरी गुर्जर बताया हे , पन्ना का सम्मान सभी समाज में उतना ही हे जितना मेवाड़ वंश का हे पन्ना धाय माँ को ""दामोदर लाल गर्ग"" ने अपनी पुस्तक ""राजधात्री पन्ना गुजरी"" में लिखा हे की ये वीरमाता गुर्जर कुल से थी और उन्होंने लिखा हे की इनका सम्बन्ध गुरुजन तथा गुर्जर , गोर्जन बताया हे,अब हम इनके सम्बन्धों पर भी बात करते हैं,जो तथ्ययातमक हैं,माता पन्ना धाय को ऊपर डॉ. व्यास ने ऊपर गायरी लिखा हे क्यों की आज यही सवाल हमारे लोगों के जहाँ में हे की इनकी शादियां क्यों नहीं होती हैं पन्ना धाय की ससुराल गुर्जर चौहान कुल में थी चौहान हिन्दू जी गुर्जर के पुत्र गुर्जर लाला गुर्जर के पुत्र सूरजमल गुर्जर चौहान की पत्नी थीं,
हम लोगों को ये समझना चाहिए की मेवाड़ रियासत के राजवंश की फौज में गुर्जर ही सबसे ज्यादा थे और मेवाड़ के आस पास गायरी ज्यादा हैं. गुर्जर कम हैं फिर ये बात सही कैसे हो सकती हैं , लेकिन ये बात सही हे क्यों की उस टाइम पे गायरी वर्ड ही नहीं था तो गायरी भी गुर्जर ही कह जाएंगे क्यों की गायरी. तो कुछ नाम नहीं था मतलब की गायरी ही मेवाड़ वंश की फौज में थे और इनपे ही राणा परिवार को भरोसा भी था
पन्ना गूजरी के गांव के हांकला गोत्रीय गूजर चित्तौड़ के दुर्ग के दक्षिणी भाग के रक्षक थे दक्षक्षिणी भाग की और
सुरक्षा भी गूजर कर रहे थे, महल के अन्दर पन्ना धाय
उनके पुत्रों की रक्षा कर रही थीं, पन्ना धाय के पिता हरचंद हाकला जी ने राणा संग्राम के साथ लड़ते लड़ते वीरगति को प्राप्त हुए थे ,
नोट-गायरी गुर्जर हैं गडरिया जबरस्ती या धनगरी करण इतिहास ना बिगाडें
बहुत अच्छी जानकरी दी है आपने।में रतलाम से हु ।आज समाज जाग्रत हो रहा है।
ReplyDeleteBhisab aapka number milega
Deleteबहुत अच्छी जानकरी दी है आपने।में रतलाम से हु ।आज समाज जाग्रत हो रहा है।
ReplyDeleteAap kyo Choudhary likh rh
Deletee ho
Bahut aachi jankari
ReplyDeleteSamaj me jagruti aayega
ReplyDeleteBahut achhi jankari hame mili he
ReplyDeleteBahut badiya jankari mili he hamara gurjar samaj jagrit ho raha he
ReplyDeleteMe bhi gayri samaj se hu
ReplyDeleteJi bhut achey me gayari gurjar hi lagata hu me bhut see sabut he gayari gurjar hi he
ReplyDeleteअरे भाई गाडरी , गुर्जर ही होते है, हाड़ौती के सारे गुर्जर गाडरी ही है और सारे ही गुर्जर या गोचर लगाते हैं , हाड़ौती के गडरियों को पता है कि वे गुर्जर ही है तो बाकी जगह के लोग क्यू भूल गए कि वो भी गुर्जर ही है, भाईयो हम सब अलग बट जाएंगे तो ऐसी तरह हमारा ये गौरवशाली गुर्जर इतिहास भी लोग भूल जाएंगे
DeleteBhaisab gayri gurjar dhangar kurubas kurumber aor gadariya ek hi hai lekien kai upname se jane jate hai kripya apna bhaichara na bigade
Deleteगायरी गुर्जर एकता की बहुत जरूरत है
ReplyDeleteहमें एक होना चाहिए
ताकी हमारा खोया हुआ सम्मान वापिस प्राप्त कर सके
गुर्जर गायरी देव सेना संगठन नागदा उज्जैन
गायरी का इतिहास बताओ कि कहा से उतपति हुई और कैसे गुर्जर कहलाये इसकी भी जानकारी दीजिये क्योंकि अन्य शाखा के गुर्जर भाई हमसे यह पूछते है कि आपकी उतपति कहा से है आप तो गायरी हो गुर्जर नही और गुर्जर हो तो आपकी उतपति कैसे हुई बताओ ऐसे पूछते है अब आप बताओ
ReplyDeleteगुर्जर 9 प्रकार के उनमें से एक गायरी गुर्जर है और गायरी मूल रूप से गुर्जर है
Deleteभाई आप सब को संघर्ष करना होगा और मूल रूप से गुर्जर लिखने के लिए लोगो को बताना होगा कु हम मूल रूप से गुजर ही ह। गोत्र या sernam से कुछ नई बदलता है तो गुर्जर ही ह।।।।
ReplyDeleteTum log sub pagle ho gye ho jo gadriya ko gujjar se alg kar rhe ho .....?
ReplyDeleteAre bhai gadariya hi gadari hota Bharwad hota dewasi Holkar pal baghel gowal orgujar knha se Bharwad ban gye Ahir gadariya gujar ham teeno bhai bhai hai agar ham teeno samaj ek ho jaye to hamare mla bhi honge mp bhi honge vyarth main kisi ko ucha neecha dikhane ki kooshish mat karo
ReplyDeleteBhai tum sahi ke rahe ho baghel pal gayri gadariya bakarwal bharwad bharud and dhangar ek hi hote hai
DeleteBhai aapka contact milega kya number bhej sakte ho
बिल्कुल सही कहा आने अहीर गड़रिया और गुर्जर एक ही है।
Deleteहम सब पहले ग्वाल थे हम दोनों समाज पहले गोपालक का काम करते थे जिसने भेड़ रखना चालू किया उनको गारी कहने लग गए जो गाय रखते हैं उसको गुर्जर कहते हैं
ReplyDeleteShi kha Gurjar.yadav or Gadariya hi hamesha se Gaay ki sewa krta h
Deleteकुछ लोग बोल रहे ह की कामलिया गारी ह वो गुर्जर नी धनगर है तो सोच के देखो नाम गारि ओर गायरी पर कामलिया है तो अलग ये कैसे हो सकता ह कोई से भी गारि या गायरी हो चाहे पूर्बिया गारि या मेवाड़ा बात छेत्र अलग अलग होने से अलग ह बाकी मूल रूप से गुर्जर ह ओर कुछ लोग अफवा फैला रहे ह की कामलिया गारी अलग ह भाई लोग अभी ही समय ह जितना हो सके एक हो कर रहो नही तो में भी किसी को खाने को नई दे रहा और तुम भी नही बस बात ये ह की देवनाराय के वंश है जितना एक हो कर रह सको सबको एक करो ये नही की वो अलग ह वो गुर्जर नही ह।।।।। बाकी समा चाहूंगा 🙏 बाकी आपको पता है अपनी समाज मे शिक्षा की कमी है तो पहले तो अलग थे अब ओर अलग मत करो में आप सब 9 नागली गूर्जर से मदद लेना चाहूंगा लोर,खारी,मेवाड़ा, कामलियानिखर,बुंदेला,मेवाती,गायरी मरेठा रिया सभी गूर्जर से की मदद करो एक करने की
ReplyDeleteभाई मे मालवा मै कालिया गारी समाज से हु और हमारे दादा दादी बोलते हैं की गारी गुर्जर और रेबरी एक ही है
Delete8959926298 ये msere no hai
Bhai bahut badiya bat ki jay devnarayan bhagwan ki
DeleteBhai aapka number mil sakta hai kuch information chahta hu
Insta. =. mr_praveen_gayri_
Gari smaj me kitni gotra he gurjar me kitni gotra he
ReplyDeleteभारत में हमारा गुर्जर समाज 9 भागो में बंटा हुआ है, लौर गाडरी खारी धनकर मेवाती और भी, ये सभी गुर्जर ही है लेकिन अपनी वास्तविक पहचान भूल गए है, लोग केवल लौर और खारी को की गुर्जर मांन बैठते हैं, जबकि ऐसा नहीं है , सभी प्रकार के गुर्जर ही है ।
ReplyDeleteBhai me Ujjain ke Vinayaga gav se Hu Pavan Gayri Choudhary Me Apni Gurjar Jati Ko Pranam karta hu
Deleteकिसी के अभाव में मत आओ गायरी समाज गुर्जर समाज से काफी अलग है ये दोनों समाज अलग अलग है इसलिए गायरी समाज के लोगो से मेरा विनम्र निवेदन है कि हम गायरी है गुर्जर नही ओर हमारी मूल समाज को इन लोगो के अभाव में आकर न छोड़े ओर में भी गायरी धनगर हु गुर्जर नही यह एक अलग जाती है यह कुछ चंद लोगो का बिछाया हुआ षड्यंत्र है जो हमारे समाज को भुलाने के लिए हमे गुर्जर लगाने की बोल रहे यह कदापि मत करना आप सब गायरी समाज के सज्जनों भाइयो
ReplyDeleteभाई अपने अपने दादा दादी जी से कुछ सिख नहीं है मे मालवा में गारी समाज का हु और हमारे दादा जी बोलते हैं गारी गुर्जर एक ही है। 8959926298 es par caal karna sab batavunga
DeleteHam sab gayri dhangar hai
DeletePlease show history of gari gurjar
ReplyDeleteमे सभी समाज बंधुओ से विनती है मे मालवा मे कामलिया गारी से आता हु और हमारे पूर्वज हमारे दादा दादी बोलते है हम गारी गुर्जर और रेबरी। की अस्ली जाती गुर्जर ही है। हम अलग अलग क्षेत्रों मे अलग क् नामो से janer जाते हैं। 8959926298
ReplyDeleteगायरी गुजर अलग अलग है हमारी सोच में आपकी राय क्या है बताए
ReplyDeleteGujjar lagana chahie itihaas ke hisab se to
Deleteनमस्ते जी
ReplyDeleteराजस्थान के गुजरों के गोत्रों की लिस्ट दिजिए ।
9687003599 Whatsapp
जिसे तीनो लोगो मे पुजा जाता है गाय माता ऊससे हमारी समाज का नाम है गायरी ओर आप लोगो को क्या चाहिए पागल हो आप लोग जो चोधरी या गुर्जर लगाते हो गायरी हो तो गायरी लगाओ ना
ReplyDeleteजिसे तीनो लोगो मे पुजा जाता है गाय माता ऊससे हमारी समाज का नाम है गायरी ओर आप लोगो को क्या चाहिए पागल हो आप लोग जो चोधरी या गुर्जर लगाते हो गायरी हो तो गायरी लगाओ फिर देखो हमारी जाती
ReplyDeleteKrishnawater gurjar gothr kaaki tum kon ho
DeleteRight
ReplyDeleteबहुत ्््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््
ReplyDeleteभरत चौधरी (गायरि)
ReplyDeleteरूपनगर
तहसील jaora जावरा
जिला रतलाम
7067834973
जय श्री देवनारायण जी की
जय श्री देवनारायण
ReplyDeleteजय श्री देवनारायण
ReplyDeleteमनीष चौधरी (गायरी गुज़र)
जिला इन्दौर (बेटमा,झलारा)
जय श्री देवनारायण भगवान बहुत ही अच्छी जानकारी है भाई ऐसी ही जानकारी हमारे समाज के जो भी बड़े-बड़े नेता है जो हमारे समाज को धनगरी करण कर रहे हैं उन्हीं को सीख देनी चाहिए नहीं तो अपने समाज को बेच कर खा जाएंगे साले
ReplyDeleteJai ho gari
ReplyDeleteश्री देव
ReplyDeleteMai chandel ho gadariya gujjar
ReplyDeletePal bhi gadariya or gayri ek hi hai
DeleteApn gayri gujjar hai thik man liya ab batao ko maharani ahilyabai holkar ko gayri samaj ki rajmata hai ye to gadariya samaj bhi manta hai ki ye unki bhi rajmata hai
ReplyDeleteApni pehchan
सूबेदार मल्हार राव होलकर
माहारानी अहिल्या बाई होलकर
संत श्री श्री 1008 अमर जी से होती है
गायरी पाल बघेल धनगर गडरिया कुरूबा कुरुंबर भारूढ़ भरवाड़ बकरवाल गद्दी गारी गाडरी हिमाचली गद्दी ये सभी गायरी समाज की उप जातियां है कृपया इसे और ना बाटे
जय हो
DeleteTum juty ho gadri gurjar hy
Deleteजय हो
Deleteगायरी समाज और गूजर दोनों अलग अलग समाज है बस फर्क इतना है कि धनगर मै 52 गोते है वो गायरी धनगर ही है
ReplyDeleteGayri 152 gothr hy jo ki gurjar hy Dnghar nhi hy i am gurjar
Deleteजय हिन्द जय मल्हार
ReplyDeleteरामलाल गायरी प्रतापगढ़ जिले से हूं
मों 8560065100
जय हो राज माता अहिल्या बाई की जय हो
जय हो
ReplyDeleteBhai sahab aapane Jankari to bahut acchi Di Hai Lekin isase video mein YouTube ke dwara upload karo Taki aur Jyada Logon Ko Pata Chal sake Anpadh log bhi dekh kar samajh jaenge dhanyvad main MP Ujjain se hun
ReplyDeleteJay gayree
ReplyDeleteगायरी गुर्जर एक ही। हे
ReplyDeleteKahavat Sahi Kahi gai hai food Dalo Raj karo Hamari samaj mein foot Dali gai hai
ReplyDeleteHum kewal Gari Gurjar he or hamari mul jati Gurjar he
ReplyDeleteMe Arjun Gurjar Mandsaur se
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ReplyDeleteGari kewal khap he hamari mul jati Gurjar h bs
ReplyDeleteHm pal bhaghel Holkar Dhangar gadriaa nhi h
Jay shree Devnarayan
Gurjar he Gurjar bs
ReplyDeleteGurjar
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