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Thursday, 27 December 2018

प्रतियोगिता का दौर

आजकल कम्पीटिशन का दौर चल रहा है और कोई भी कम्पीटिशन अपने दिमाग की मेहनत से ही जीता जा सकता है लेकिन शातिर दंबग पाखंडी कर्मकांडी दहशतवादी कभी भी सीधे भोले कमेरे किसान हाली पाली कास्तकार बुनकर शिल्पकार कलाकार नट बंजारे भील घुमन्तु अर्घघुमन्तु आदिवासी को उनका अपना दिमाग साम दाम दंड भेद के षड़यंत्र द्वारा काम में ही नहीं लेने देता। इसलिए वो लोग सफल नहीं हो पाते हैं। इसलिए उन्हे भी शातिर दंबग पाखंडी कर्मकांडी दहशत वादी लूटेरे पंडित मुल्ला भोपा बुआ की भांति ही नही उनसे भी तेज अपने दिमाग से ही हर काम बेहतरीन करना होगा।और उन्हे इंट का जवाब पत्थर से देकर उनसे भी आगे बड़ना होगा।जय किसान मजदूर जय जवान जय विज्ञान जय कमेरा इन्सान। दोस्तो दबे कुचले लोग फिल्म मदर इंडिया के किरदार वाले अब जागरुक होकर महाजन की चौपड़ी व ब्राह्मण की खोपड़ी व उनके पालतू लठेतो की हेकड़ी को दर किनार कर चुके है।जो उनके सामंन्तशाही बन्दन थे उन्हे तोड़कर आज समता सम्मानता समता शिक्षा का मैदान फतेह कर चुके है। अब हारा हुआ सामन्तवादी शेर अपने पुराने दिनों को याद कर करके रो रहा है। आज भारतीय जागरूक नागरिक जन्म के अधार की श्रेष्ठता को तरजीह नही दे रहा है। आज कमेरा किसान मजदूर कास्तकार बुनकर शिल्पकार कलाकार कारीगर भील बंजारा घुमन्तु अर्ध घुमन्तु आदिवासी भी अपनी जनसख्या के हिसाब से अपने हक अधिकार के बजट की डिमान्ड कर रहा है। इसलिए लूटेरे दंबग पाखंडी कर्मकांडी दहशतवादी लोगों का भांडा फूट रहा है। उनके पैरो के नीचे की जमीन स खसक रही है। इसलिए उन्हे भारतीय सविधान बुरी लग रही है।एक नागरिक एक मत अधिकार।अब काहेका जन्म के अधार पर श्रेष्ठ नीच होना? सबका सब नाटक है अब बेकार। अब जो काम करेगा उसका पेट भरेगा। जो साम दाम दंड भेद पाखंडवाद कर्मकांड का धन्धा करेगा वो जेल में सडेगा। जय भारत जय सविधान'गर्व से कहो हमारा भारत महान।

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